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देश की रक्षा से जुड़े 40 विशेषज्ञों (जिनमें सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी एवम राजदूत भी हैं) ने “मनमोहन सिंह” को अगाह किया है कि वह अगले माह संयुक्त राष्ट्र की आम सभा के दौरान नवाज शरीफ से कोई वार्ता न करें ! लेकिन मनमोहन सिंह का स्पष्ट मत है कि पकिस्तान से हर सूरत में वार्ता जारी रहनी चाहिए !
और वार्ता के बाद मनमोहन सिंह अनेकों बार पाकिस्तानी प्रवक्ता के रूप में बोलता है इसका प्रमाण 2006 में हवाना में “परवेज़” से वार्ता के बाद यह बयान कि भारत और पकिस्तान दोनों ही आतंकबाद के शिकार हैं जबकि हमारी समस्या यह है कि भारत पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकबाद का शिकार है !
इसी प्रकार 2009 के मुम्बई आतंकी हमले के बाद मात्र आठ महीने बाद पाक प्रधानमंत्री “गिलानी” से सहमति प्रकट की, कि बातचीत की प्रक्रिया को आतंकवादी गतिविधियों से नहीं जोड़ना चाहिए !!
आज स्थितियां बदल चुकी हैं आज मुख्य मुद्दा आतंकवाद है ! हाफ़िज़ सईद जैसा आतंकवादी खुले आम पाकिस्तान में घूम रहे है और भारत को चेलेंज कर रहे हैं !
इस समय पकिस्तान के साथ वोट बैंक को ध्यान में रख कर नहीं अपनी विदेशनीति को ध्यान में रख कर कदम उठाने की आवश्यकता है !
यूं शहीदों के लहू के होंगे सौदे, देश का स्वाभिमान तो झुक जायेगा
देश का सरदार झुकायगा सिर, पूरी दुनिया में तू ठुकराया जायेगा
आतंकी सरगना से वार्ता करेगा, तेरा जमीर नहीं काँप जायेगा
“पवन” तेरे देश का हर स्वाभिमानी, तुझे कभी माफ़ नहीं कर पायेगा !
पवन जैन
मुरादाबाद
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